(रशीद क़ुरैशी)
महोबा जिले में सरकारी निर्माण परियोजनाओं में हो रही फर्जी रॉयल्टी का खेल, सरकार को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है। जिले के निर्माण कार्यों में लगने वाली रॉयल्टी में माफिया और सरकारी विभागों के कुछ भ्रष्ट बाबुओं की सांठगांठ ने इसे एक बड़े घोटाले में बदल दिया है। ये सिंडिकेट ने फर्जी रॉयल्टी प्रपत्रों का इस्तेमाल करके सरकार को चूना लगा रहा है।
रॉयल्टी माफिया जिले के विभिन्न विभागों में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है। निर्माण परियोजनाओं में उपयोग होने वाली रेत, पत्थर, और अन्य निर्माण सामग्री की रॉयल्टी वसूलने के बजाय, माफिया फर्जी दस्तावेज बनाकर रॉयल्टी भुगतान दिखा देता है। असली रॉयल्टी की जगह, संपादित और नकली रॉयल्टी प्रपत्रों को खपाया जा रहा है, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
इस फर्जीवाड़े में शामिल ठेकेदार और बाबू, उच्चाधिकारियों को अंधेरे में रखकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। माफिया के इस खेल से न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है, बल्कि जिले में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
इस सिंडिकेट की जड़ें जिले के कई विभागों में गहरी पैठ चुकी हैं। कुछ बाबुओं के सहयोग से ठेकेदार, बिना असली रॉयल्टी चुकाए, निर्माण कार्यों के लिए सामग्री की आपूर्ति कर रहे हैं। यदि इन विभागों में इस्तेमाल किए गए रॉयल्टी प्रपत्रों की गहराई से जांच की जाए, तो यह घोटाला खुलकर सामने आ सकता है। असली और नकली रॉयल्टी के बीच अंतर को समझने के लिए प्रपत्रों की गहनता से तुलना आवश्यक है, जो भ्रष्टाचार के इस गहरे जाल को उजागर कर सकती है।
यदि इस पूरे मामले की गहनता से जांच की जाए, तो निश्चित रूप से एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा।