(रशीदक़ुरैशी)
महोबा के जिला अस्पताल की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। हाल ही में हुई एक दर्दनाक घटना ने इस अस्पताल की असलियत को बेनकाब कर दिया। ट्राली पलटने की दुर्घटना में एक मासूम बच्ची सहित तीन लोगों की मौत हो गई और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए। उम्मीद थी कि इन घायलों को जिला अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन जो हुआ वह बेहद निराशाजनक और दुखद है
( स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत)
घायलों को एम्बुलेंस के माध्यम से जब जिला अस्पताल लाया गया, तो वहाँ का दृश्य किसी भी संवेदनशील इंसान को झकझोर देने वाला था। अस्पताल में भारी भरकम स्टाफ की भीड़ होने पर भी किसी ने उस मासूम को स्ट्रेचर लिटाना मुनासिब नहीं समझा, जो इनकी लापरवाह जिम्मेदारी को दर्शाता है । ये वाकई एक हृदयविदारक दृश्य वह था जब एक मासूम बच्ची को उसके परिजन उसे अपनी गोद में लेकर इमरजेंसी वार्ड में इलाज के लिए भागते दिखे। यह न केवल अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करता है, बल्कि प्रशासन और शासन की उदासीनता को भी उजागर करता है।
(खोखले वादों का सिलसिला)
महोबा के जिला अस्पताल में मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से खोखले वादों पर आधारित हैं। सरकार और प्रशासन द्वारा किए गए वादे धरातल पर कहीं नजर नहीं आते। अस्पताल में सुविधाओं का आभाव, डॉक्टरों की कमी और चिकित्सा उपकरणों की दुर्दशा इस बात की पुष्टि करती है कि स्वास्थ्य व्यवस्था किस कदर लचर है। अगर ऐसे हादसों में भी अस्पताल अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा पा रहा है, तो सामान्य दिनों में क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
(जिम्मेदारों पर कड़ी कार्यवाही की जरूरत)
इस लापरवाही और असंवेदनशीलता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। ऐसे हादसों के बाद अगर प्रशासन और शासन नहीं जागे तो कब जागेंगे? यह समय है जब जिम्मेदार अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाना होगा। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महोबा के जिला अस्पताल में तुरंत सुधार की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।