– रशीद कुरैशी –
महोबा में भू माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि उनके द्वारा हाईवे किनारे स्थित करोड़ों की सरकारी जमीन पर प्लाटिंग करके बेंच दी गयी और प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी। आरटीआई कार्यकर्ता के खुलासे मैं शहर के बड़े समाजसेवियों और भू माफियाओं के नाम उजागर हुए थे। मामला खुलते देख कुम्भकर्णी की नींद में सो रहे प्रशासन की नींद खुल गई। आनन-फानन में एसडीएम सदर ने ईओ नगरपालिका को आदेश कर भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। ईओ की शिकायत के 15 दिन बीत जाने के बाद भी आज तक कोतवाली पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज नहीं किया गया । 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी कार्रवाई ना होने से जिले का प्रशानिक अमला संदेह के घेरे में है। हालांकि कल पुलिस उपमहानिरीक्षक चित्रकूटधाम के एक कार्यक्रम में आगमन के दौरान आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दोबारा शिकायत की गई जिस पर उन्होंने एसपी को जांच के बाद कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही भू माफियाओं पर शिकंजा और कार्रवाई के निर्देश जारी कर रहे हैं बावजूद इसके महोबा प्रशासन भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई करने से बचने का प्रयास कर रहा है । दरअसल महोबा में भूमाफियाओं में जिले के बड़े समाजसेवी सहित सरकारी जमीन को निजी भूमि साबित करने वाले लेखपालों कानूनगो की एक लंबी फेहरिस्त शामिल है। कहीं ना कहीं बडे लेनदेन के चलते प्रशासन मामले में चुप्पी साधे हैं। यह पूरी बैशक़ीमती जमीन कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित वन विभाग कार्यालय के सामने है। वर्तमान के समय जमीन की कीमत करोड़ों में है।
आपको बता दे आरटीआई कार्यकर्ता जीवन लाल चौरसिया की आरटीआई मैं सरकारी जमीन को नानजेडए और निजी भूमि में दर्ज करा कर प्लॉटिंग के आदेश का खुलासा होते ही जिले के बड़े अधिकारी सहित भूमाफिया सकते में आ गए थे। सदर एसडीएम ने मामले में तत्कालीन तहसीलदार लेखपाल सहित ज्योति प्रकाश, शरद कुमार, सुनील कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे। एसडीएम के आदेश पर ईओ नगरपालिका ने थाने में लिखित शिकायत की थी। शिकायत के 15 दिन बीत जाने के बाद पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज किया जाना जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में पुलिस क्या कार्रवाई करती है या खानापूर्ति कर मामले को रफा-दफा करती है।